चलो दारू पीते है
समय से चुरा के कुछ वक्त चंद पल जिंदगी जीते है
चलो दारू पीते है
चादर जो फट चुकी खा खा कर जिंदगी के थपेड़े
आज नशे मे ही सही वो चादर सीते है
चलो दारू पीते है
कह दो कोई उसे जाके अब और इंतजार नहीं उसका
के उसकी आस मे कितने दिन महीने साल यू ही बीते है
आज गुमनाम सही कल किस्मत पलट भी सकती है
इसी उम्मीद मे सही एक दिन और जीते है
चलो दारू पीते है
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