जिस रास्ते हो आना उस रास्ते से आओ।
मंजिल मेरी तुम्ही हो जिस रास्ते से आओ।
हूँ मैं अजीब राही, थक कर थमा हुआ हूँ।
ज़िद एक जो है पकड़ी उसपे जमा हुआ हूँ।
तुम मुझको जान नादाँ हँसी मेरी उडाओ।
या साथ आके बैठो और साथ मेरे गाओ।
मेरे गीत न ख़ुशी के , न ग़म का एक कतरा।
ये जश्न बेखुदी का मेरे साथ भी मनाओ।
दिल आज तुमसे मिल के खुश है बहुत ही ज्यादा।
मुझको गले लगा के अब तुमभी निखर जाओ
मंजिल मेरी तुम्ही हो जिस रास्ते से आओ।
हूँ मैं अजीब राही, थक कर थमा हुआ हूँ।
ज़िद एक जो है पकड़ी उसपे जमा हुआ हूँ।
तुम मुझको जान नादाँ हँसी मेरी उडाओ।
या साथ आके बैठो और साथ मेरे गाओ।
मेरे गीत न ख़ुशी के , न ग़म का एक कतरा।
ये जश्न बेखुदी का मेरे साथ भी मनाओ।
दिल आज तुमसे मिल के खुश है बहुत ही ज्यादा।
मुझको गले लगा के अब तुमभी निखर जाओ
Tuesday, August 13, 2013
जिस रास्ते हो आना उस रास्ते से आओ। मंजिल मेरी तुम्ही हो जिस रास्ते से आओ। हूँ मैं अजीब राही, थक कर थमा हुआ हूँ। ज़िद एक जो है पकड़ी उसपे जमा हुआ हूँ। तुम मुझको जान नादाँ हँसी मेरी उडाओ। या साथ आके बैठो और साथ मेरे गाओ। मेरे गीत न ख़ुशी के , न ग़म का एक कतरा। ये जश्न बेखुदी का मेरे साथ भी मनाओ। दिल आज तुमसे मिल के खुश है बहुत ही ज्यादा। मुझको गले लगा के अब तुमभी निखर जाओ
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