Wednesday, January 29, 2014

जरूरी है।

कठिन बेबाक आँखों से निगाहों को मिला पाना
तुम्हे देखने को तेरा शर्माना जरूरी है।
अभी नादान मेरा हमसफ़र राहों के काँटों से
कहाँ से बचके चलना है कहाँ जाना जरूरी है।
बस साँस लेने को ही जीना गलत होगा
जिन्दा हो तो जिन्दा नजर आना जरुरी है।
अपने हाथो में मेरा हाथ लेकर कभी पूछो
क्या दुनिया में कुछ और भी पाना जरूरी है।
अगर आ जाये बात अपनी खुदी पे तो
सामने कोई भी उससे टकराना जरूरी है।
तुम्हारे बिन तो जीते आये है इतने सालो से
के मरने को तुम्हारे वास्ते जीना जरूरी है।
के बस चार हफ्ते और रह लो दूर तुम मुझसे
तुम्हे अब छीन के सबसे हमें लाना जरूरी है।

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