Friday, January 31, 2014

गुजरता हूँ गधे लेके गली से तेरे

गुजरता हूँ गधे लेके गली से तेरे  ,
तेरे नखरो का बोझ मुझसे उठाया नहीं जाता।
घूमता हूँ पैदल मैं तेरे मोहल्ले में
अपनी बाइक में तेल मुझसे भराया नहीं जाता।
दूर रहता हूँ सभी दोस्तों रिश्तेदारों से
उधार इतना है की मुँह दिखाया नहीं जाता।
देखता हूँ आस तेरे फ़ोन करने की
बात ये है कि रिचार्ज कराया नहीं जाता
आंखे फ़ैल गई है किसी उल्लू की तरह
इंतजार ऐसे किसी से कराया नहीं जाता
यार तू मान मेरी बात बिन बढ़ाये कभी
अपने चाहने वालो को यु सताया नहीं जाता

Wednesday, January 29, 2014

जरूरी है।

कठिन बेबाक आँखों से निगाहों को मिला पाना
तुम्हे देखने को तेरा शर्माना जरूरी है।
अभी नादान मेरा हमसफ़र राहों के काँटों से
कहाँ से बचके चलना है कहाँ जाना जरूरी है।
बस साँस लेने को ही जीना गलत होगा
जिन्दा हो तो जिन्दा नजर आना जरुरी है।
अपने हाथो में मेरा हाथ लेकर कभी पूछो
क्या दुनिया में कुछ और भी पाना जरूरी है।
अगर आ जाये बात अपनी खुदी पे तो
सामने कोई भी उससे टकराना जरूरी है।
तुम्हारे बिन तो जीते आये है इतने सालो से
के मरने को तुम्हारे वास्ते जीना जरूरी है।
के बस चार हफ्ते और रह लो दूर तुम मुझसे
तुम्हे अब छीन के सबसे हमें लाना जरूरी है।

Saturday, January 25, 2014

वो इश्क क्या हुआ जो सरेआम ना हुआ

वो इश्क क्या हुआ जो सरेआम ना हुआ
वो आशिक ही क्या जो ज़रा बदनाम न हुआ
तुम्हे देख मेरी बात महफ़िल में न उठे
उस महफ़िल में तेरे आने से काम क्या हुआ
वो काँच का प्याला था बदनाम बेवजह
पी कर गर होश रहा वो जाम क्या हुआ
मेरी फिकर में परेशान खामख्वाह  जमाना
यादो में तेरी रात दिन ओ शाम क्या हुआ
अब आके मेरा थाम ले ये हाथ सरेआम
थम जाये गर ये साँस तो आराम क्या हुआ

Friday, January 17, 2014

Bachpan

ख्वाबो की जो लिस्ट बनाई थी बचपन में खेल खेल में
उसकी एक एक चीज़ हमारे पास अभी है
नए ख्वाब अब आते कम है
नींद ही मुश्किल से आती है
चलो लौट के फिर बचपन में
और बनाये लिस्ट एक जो
पहले से ज्यादा लम्बी हो
जीने के मकसद सब सारे
बचपन ही निश्चित करता है।
और जवानी धीरे धीरे
बुढ़ापे का रुख करता है
जब तक दिल से बच्चे हो तुम
जी भर के ख्वाबो को जी लो
कल जब होगा तब होगा
इस पल को इस पल ही जी लो।

Wednesday, January 15, 2014

तेरी बाते करते करते


तेरी बाते करते करते
हमने सारी रात बिता दी
करने बैठे याद तुम्हे और
अपनी ही तस्वीर बना दी
तू मुझसा या मैं तुम जैसा
खुद से लड़के रात बिता दी
तुमको पाने भटके दर दर
दुनिया की औकात बढ़ा दी
छोटी सी मेरी थी कहानी
दुनिया ने फिर बात बढ़ा दी
मिट्टी पानी लेकर अल्लाह
तूने ये क्या चीज़ बना दी

Tuesday, January 14, 2014

वो लड़की सावली सी

वो नशीली आँखों वाली एक लड़की
जो शायद मुझसे कभी मिली थी कही
सुना है किसी लड़के से प्यार करती है
पर फिर भी मुझे अनायस याद करती है।
न मेल है न मिलाव है फिर भी न जाने क्यु
कुछ इन्तेजार की आदत सी हो गई है।
एक अजनबी की जरूरत सी हो गई है।
मैं चाहता हूँ वो यु ही याद करे मुझको
और मैं यु ही उसका इन्तेजार करू
उसे मैं हर ख़ुशी में शामिल करू
और जितना हो सके उसके गम लेलू
और वो उसी लड़के से प्यार करती रहे.....

Sunday, January 12, 2014

तुमसे मिलने आये

एक परिंदे की तरह उड़ के तुम्हे छू आये।
तुमसे मिलके मुझे खुद से तेरी खुशबु आये।
तुमसे मिलके जगे फिर जज़्बात मेरे
मुद्दतो बाद मेरी आँखों में आंसू आये।
तुमको देख दीवाना हुआ दर्पण मेरा,
खुद को देखू अगर तो भी नज़र तू आये।
बेतकल्लुफ हो गले तेरा यूँ मुझसे मिलना,
जैसे की रात को छुपते हुए जुगनू आये।
तुमसे राहते मिलती है परेशाँ दिल को
तेरे पहलु में समाके जो सुकून आये।

Thursday, January 9, 2014

Happy new year

एक साल हाथ से गया अभी, एक हाथ में आने वाला है।
पिछली सारी कसमे जो टूटी फिर से दुहराने वाला है।
कुछ नया करेंगे इस साल अभी फिर हम कसमे खायेंगे
आने वाला साल भी खुद को दुहराने वाला है।

Fikra not

Kiski kare fikar hame khud ki khabar nahi.
Kinko kare yaad jinhe meri kadar nahi
Ek tere hi hone ka mujhe fark padta hai
Duniya bura hazar kahe koi zarar nahi