Thursday, April 17, 2014

पी गया

तेरी नशेनिगाह को मैं पा के पी गया
लहरों में बहना छोड़ मैं लहरा के पी गया
क्या मेरी मजाल तुमसे बिन पूछे पी सँकू
परदे से पीछे तेरी शह पा के पी गया
बेखौफ तेरे हुस्न से घबरा के पी गया
दुनिया के इन्तेजार को ठहरा के पी गया
मैं हु नशे में अब मेरी हर खता हो माफ़
आएगी मौत एक दिन घबरा के पी गया
महफ़िल में रिन्दों की सब सुन रहे थे लोग
मैं अपने गीतो से माहौल बना के पी गया
तनहाइयो में जब भी तेरी याद आ गई
दिल को तुम्हारी याद से बहला के पी गया
जख्मो की कभी न कमी की ज़माने ने
मैं जख्मो के निशान को सहला के पी गया
लफ्जो के जाम आज मैं बना के पी गया
पीने के ख्याल से हो मदहोश जी गया

Life

धीमी सी आंच पे इश्क सा पकता रहे
सीने में चूल्हे जैसा दिल सुलगता रहे
लम्हालम्हा वक़्त गुजरे और रिश्ते नर्म हो
जिंदगी का जायका बस यु ही बढ़ता रहे।

Sunday, March 30, 2014

एक बार कहो तुम मेरी हो

हम मांग के आये हर मंदिर से
कर आये दुआ मजार मजार
अरदास कराई गुरद्वारे
और घूम आये हम चर्च हज़ार
कही से आस ये पूरी हो
एक बार कहो तुम मेरी हो

क्या लोग तुम्हारे कहते है
क्या मेरे अपनों की चाहत है
क्या लोग पड़ोस के सोचेंगे
और अपने क्या कुछ बोलेंगे
ना किसी की फिक्र जरूरी हो
एक बार कहो तुम मेरी हो

पानी को प्यासे मर जाये
ना साँस ठीक से ले पाये
कोई राह दिखे न दूर तलक
अंजान कही हम भटक जाये
बस तेरा साथ जरूरी हो
एक बार कहो तुम मेरी हो

क्या झगडा पंडित ग्रंथी का
यह काम नहीं है पंथी का
सब सोना रुपया ले जाये
या दुनिया हमको ठुकराये
जब पूनम रात अँधेरी हो
एक बार कहो तुम मेरी हो

Saturday, March 15, 2014

दिल का

बहुत याद आता है जमाना दिल का
तेरी सूरत पे टूट के आना दिल का
छोड़ के तेरी गली और कहाँ जायेंगे
लौट के फिर उसी राह पे आना दिल का
थोड़ी जगह अपने सीने में बचा के रखना
बुरे वक्त में कही होगा ठिकाना दिल का
तड़प कर बाहों से छूट के जाना तेरा
हाथ आये तो सुनाऊ मैं फ़साना दिल का
तेरी हाथो की मेहंदी में नाम तलाश करूँ
तू आये तो पढू नाम हमारे दिल का
खुदा तेरे बचपने को बचा के रखे
खेल में दिल से तेरा लगाना दिल का
चीर कर कोई खंजर इस दिल को निकले
याद आये है हाथ से दबाना दिल का
छोड़ के तुझको अब कहाँ जाये ये दिल
मेरे सीने में जगह अब है तुम्हारे दिल का
निगाहों की खता दिल ने कबूल कर ली
ख़ुदकुशी आँखोंकी, निकला जनाजा दिल का
आरजू भी न रही की धड़कने की दिल में
लहू को तेरे बहाने से बहाना दिल का
इतना तड़पे तो समझ दिल को आया
क्यों समझ वालो ने कभी न माना दिल का

Friday, February 21, 2014

तेरे आने का पता

तेरे आने का पता आहटो से जान लेते है।
तेरी ख़ुशबू से हम तुझे पहचान लेते है।
कुछ कम नहीं आंखे किसी खंजर से जरा भी,
निगाहें मिलते ही ये हमारी जान लेते है।
बड़ी मासूमियत से तेरा हर बात को कहना,
सही हो या गलत हम उसे मान लेते है।
जब कभी कटती नहीं रात काटे से,
ऐसे में तेरी यादों की चादर तान लेते है।
दो धडकनों के बीच हम हर बार मरते है।
जीने को फिर चार पल उधार लेते है।
करोबार-ए-इश्क में कमजोर जरा है,
खुद अपने सर तेरा हर नुकसान लेते है।
सुना कातिलो के बीच है घर मेरे यार का,
चलो उसी गली में अपना भी मकान लेते है।
मुश्किल है मुहब्बत का सफ़र ये कहते हो
हम आसमां झुका दे जब ठान लेते है।

Saturday, February 15, 2014

गर्मियों की उमस में पेड़ की छांव के नीचे
हाथ में पिघली हुई चोकलेट लेके
तुम्हारा उंगलिया  चोकलेट  में डूबा कंफ्यूज करना
के स्वाद उंगलियों में ज्यादा है या चोकलेट में।
तुम्हारे आंख में काजल की पतली सी धारी से जरा सी ले कर मेरे कान के पीछे लगाना और दुआ करना की खुद अपनी नजर न लगे हमें ही

सुबह की चाय के साथ चंद लाइने लिखना तुम्हे ही याद करके
मेरा शगल बन गया है खास करके

तुम्हारी आवाज में हलकी उदासी फील करके
मेरा खुद ही उदास होना और नाराज होना
तुम्हारा खांस कर अपनी आवाज में  खनक लाने की कोशिश करना
फिर किसी बात में तेरे साथ खिलखिला कर हँसना
और शुक्रिया कहना खुदा को हर सुबह का