Thursday, April 17, 2014

पी गया

तेरी नशेनिगाह को मैं पा के पी गया
लहरों में बहना छोड़ मैं लहरा के पी गया
क्या मेरी मजाल तुमसे बिन पूछे पी सँकू
परदे से पीछे तेरी शह पा के पी गया
बेखौफ तेरे हुस्न से घबरा के पी गया
दुनिया के इन्तेजार को ठहरा के पी गया
मैं हु नशे में अब मेरी हर खता हो माफ़
आएगी मौत एक दिन घबरा के पी गया
महफ़िल में रिन्दों की सब सुन रहे थे लोग
मैं अपने गीतो से माहौल बना के पी गया
तनहाइयो में जब भी तेरी याद आ गई
दिल को तुम्हारी याद से बहला के पी गया
जख्मो की कभी न कमी की ज़माने ने
मैं जख्मो के निशान को सहला के पी गया
लफ्जो के जाम आज मैं बना के पी गया
पीने के ख्याल से हो मदहोश जी गया

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