Sunday, March 30, 2014

एक बार कहो तुम मेरी हो

हम मांग के आये हर मंदिर से
कर आये दुआ मजार मजार
अरदास कराई गुरद्वारे
और घूम आये हम चर्च हज़ार
कही से आस ये पूरी हो
एक बार कहो तुम मेरी हो

क्या लोग तुम्हारे कहते है
क्या मेरे अपनों की चाहत है
क्या लोग पड़ोस के सोचेंगे
और अपने क्या कुछ बोलेंगे
ना किसी की फिक्र जरूरी हो
एक बार कहो तुम मेरी हो

पानी को प्यासे मर जाये
ना साँस ठीक से ले पाये
कोई राह दिखे न दूर तलक
अंजान कही हम भटक जाये
बस तेरा साथ जरूरी हो
एक बार कहो तुम मेरी हो

क्या झगडा पंडित ग्रंथी का
यह काम नहीं है पंथी का
सब सोना रुपया ले जाये
या दुनिया हमको ठुकराये
जब पूनम रात अँधेरी हो
एक बार कहो तुम मेरी हो

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