Wednesday, September 11, 2013

वक़्त का सौदा

वक़्त का सौदा ठुकरा दिया हमने
नादानी खरीदने आया था तजुर्बे के बदले
जिंदगी खुशफहमी में ही आसान है
अब तक न बदले तो अब हम क्या बदले
हमें आइना तक पहचानना भूल गया है
उसे बस याद है मासूम से बच्चे की शक्लें
नादान ही सही तुमको तो अक्सर याद करते है
तुम मिलते भी तो लगते हो बदले बदल

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