Sunday, September 8, 2013

आज

बैठी है बाल खोल के मेरे पास रात
दिन लौट गया मेरे साथ दिन गुजार के
तनहाइयों को  साथ मेरा रास न आया
और लौट गया भीड़में किसकी तलाश पे

हवा खुशबु का झोंका एक लाई साथ में
और रंग कई छोड़ गई तितली हाथ में
आराम का दिन जैसे मिला हो महीनो बाद
के नींद थक के सो गई मेरे साथ में

गम भूल के हर गम खिलखिलाया आज
यादो ने सब भूल कर गीत गाया आज
दिल आज मुझपे अपना दिल हार कर गया
आईने ने भी नजरे मेरी उतारी आज।।।

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