वक़्त का सौदा ठुकरा दिया हमने
नादानी खरीदने आया था तजुर्बे के बदले
जिंदगी खुशफहमी में ही आसान है
अब तक न बदले तो अब हम क्या बदले
हमें आइना तक पहचानना भूल गया है
उसे बस याद है मासूम से बच्चे की शक्लें
नादान ही सही तुमको तो अक्सर याद करते है
तुम मिलते भी तो लगते हो बदले बदल
Wednesday, September 11, 2013
वक़्त का सौदा
Sunday, September 8, 2013
आज
बैठी है बाल खोल के मेरे पास रात
दिन लौट गया मेरे साथ दिन गुजार के
तनहाइयों को साथ मेरा रास न आया
और लौट गया भीड़में किसकी तलाश पे
।
हवा खुशबु का झोंका एक लाई साथ में
और रंग कई छोड़ गई तितली हाथ में
आराम का दिन जैसे मिला हो महीनो बाद
के नींद थक के सो गई मेरे साथ में
।
गम भूल के हर गम खिलखिलाया आज
यादो ने सब भूल कर गीत गाया आज
दिल आज मुझपे अपना दिल हार कर गया
आईने ने भी नजरे मेरी उतारी आज।।।
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