Thursday, May 10, 2012


हमारी साँस ही अक्सर हमें मजबूर करती है
वर्ना जीना बिना तेरे हमें अच्छा नहीं लगता
हमारी आँख अक्सर इसी उम्मीद में खुलती है
बिना देखे तुम्हे ये दिन बिताना अच्छा नहीं लगता
तुम आओगे इसी उम्मीद के दम पे जीते है
कि कोई और आस अब हमें सच्चा नहीं लगता
तुम्हारी याद ही अक्सर हमें मजबूर करती है
वर्ना शायरी करना हमें अच्छा नहीं लगता 

Sunday, May 6, 2012

जो खाली हो वो भरा करे

जो खाली हो वो भरा करे , मैं तो पहले से लब लब हूँ |
जो रीन्दा हो वो जमा करे , मैं तो पहले से जम जम हूँ  |
जो बदल गए वो बार करे मैं तो पिछले पे कायम हूँ  |
जो चले गए उन्हें याद करो, मैं तो संग तेरे हरदम हूँ |

राह के पत्थर

राह में दिये पत्थर तुने
उन्ही पत्थरो को तोड़ के
उसी रास्ते पे छोड़ के
नयी एक सड़क बना दिया

के मेरे बाद जो आएंगे
कई राहगुजर इस राह से
उन्हें ठोकरें वो नहीं मिले
जिनपे गिरे कई बार हम

मेरे बाजूओं में तो दम था खैर
कई आएंगे इसके बगैर
मेरे राह के वो राहगुजर
मेरे दोस्त मेरे हमसफ़र

एक कारवां बने मेरे बाद
के लोग अब चले मेरे बाद
उस राह पे जो अब तलक
चलने के काबिल थे नहीं |