हम मांग के आये हर मंदिर से
कर आये दुआ मजार मजार
अरदास कराई गुरद्वारे
और घूम आये हम चर्च हज़ार
कही से आस ये पूरी हो
एक बार कहो तुम मेरी हो
।
क्या लोग तुम्हारे कहते है
क्या मेरे अपनों की चाहत है
क्या लोग पड़ोस के सोचेंगे
और अपने क्या कुछ बोलेंगे
ना किसी की फिक्र जरूरी हो
एक बार कहो तुम मेरी हो
।
पानी को प्यासे मर जाये
ना साँस ठीक से ले पाये
कोई राह दिखे न दूर तलक
अंजान कही हम भटक जाये
बस तेरा साथ जरूरी हो
एक बार कहो तुम मेरी हो
।
क्या झगडा पंडित ग्रंथी का
यह काम नहीं है पंथी का
सब सोना रुपया ले जाये
या दुनिया हमको ठुकराये
जब पूनम रात अँधेरी हो
एक बार कहो तुम मेरी हो
Sunday, March 30, 2014
एक बार कहो तुम मेरी हो
Saturday, March 15, 2014
दिल का
बहुत याद आता है जमाना दिल का
तेरी सूरत पे टूट के आना दिल का
छोड़ के तेरी गली और कहाँ जायेंगे
लौट के फिर उसी राह पे आना दिल का
थोड़ी जगह अपने सीने में बचा के रखना
बुरे वक्त में कही होगा ठिकाना दिल का
तड़प कर बाहों से छूट के जाना तेरा
हाथ आये तो सुनाऊ मैं फ़साना दिल का
तेरी हाथो की मेहंदी में नाम तलाश करूँ
तू आये तो पढू नाम हमारे दिल का
खुदा तेरे बचपने को बचा के रखे
खेल में दिल से तेरा लगाना दिल का
चीर कर कोई खंजर इस दिल को निकले
याद आये है हाथ से दबाना दिल का
छोड़ के तुझको अब कहाँ जाये ये दिल
मेरे सीने में जगह अब है तुम्हारे दिल का
निगाहों की खता दिल ने कबूल कर ली
ख़ुदकुशी आँखोंकी, निकला जनाजा दिल का
आरजू भी न रही की धड़कने की दिल में
लहू को तेरे बहाने से बहाना दिल का
इतना तड़पे तो समझ दिल को आया
क्यों समझ वालो ने कभी न माना दिल का
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