Friday, February 21, 2014

तेरे आने का पता

तेरे आने का पता आहटो से जान लेते है।
तेरी ख़ुशबू से हम तुझे पहचान लेते है।
कुछ कम नहीं आंखे किसी खंजर से जरा भी,
निगाहें मिलते ही ये हमारी जान लेते है।
बड़ी मासूमियत से तेरा हर बात को कहना,
सही हो या गलत हम उसे मान लेते है।
जब कभी कटती नहीं रात काटे से,
ऐसे में तेरी यादों की चादर तान लेते है।
दो धडकनों के बीच हम हर बार मरते है।
जीने को फिर चार पल उधार लेते है।
करोबार-ए-इश्क में कमजोर जरा है,
खुद अपने सर तेरा हर नुकसान लेते है।
सुना कातिलो के बीच है घर मेरे यार का,
चलो उसी गली में अपना भी मकान लेते है।
मुश्किल है मुहब्बत का सफ़र ये कहते हो
हम आसमां झुका दे जब ठान लेते है।

Saturday, February 15, 2014

गर्मियों की उमस में पेड़ की छांव के नीचे
हाथ में पिघली हुई चोकलेट लेके
तुम्हारा उंगलिया  चोकलेट  में डूबा कंफ्यूज करना
के स्वाद उंगलियों में ज्यादा है या चोकलेट में।
तुम्हारे आंख में काजल की पतली सी धारी से जरा सी ले कर मेरे कान के पीछे लगाना और दुआ करना की खुद अपनी नजर न लगे हमें ही

सुबह की चाय के साथ चंद लाइने लिखना तुम्हे ही याद करके
मेरा शगल बन गया है खास करके

तुम्हारी आवाज में हलकी उदासी फील करके
मेरा खुद ही उदास होना और नाराज होना
तुम्हारा खांस कर अपनी आवाज में  खनक लाने की कोशिश करना
फिर किसी बात में तेरे साथ खिलखिला कर हँसना
और शुक्रिया कहना खुदा को हर सुबह का